संदेह से देखना तेरी आदत है, पर मेरी यारी भी देख.. खामियां मुझ में लाख सही, पर मेरी वफादारी भी देख.. यूँ न कर मुझे अलग खुद से , मेरी लाचारी भी देख.. ले झुकी तेरे कदमों में , तेरे आगे सब हारी भी देख..
मोहब्बत मे इम्तेहान वफादारियों का हो , आशिकों में हो ये बहस कि बेवफा कौन है...? यह फैसला तो वक़्त भी शायद न कर सके , सच कौन बोलता है अदाकार कौन है.........?
बेगानों से गुजर जाते है कोई बात नहीं होती। हम उनसे रोज मिलते हैं मगर मुलाक़ात नहीं होती। सूखे बंजर खेत जैसी जिंदगी बेहाल है... घटाएं घिर तो आती है मगर बरसात नहीं होती।