कुछ पल जो बीते अपने दोस्तों के साथ,
कुछ यादगार लम्हे जो याद आये तो आँख भर आये,
कुछ मीठा मीठा दर्द जो दे खुशियां हज़ार,
Friday, 10 April 2015
बेगानों से गुजर...
बेगानों से गुजर जाते है कोई बात नहीं होती। हम उनसे रोज मिलते हैं मगर मुलाक़ात नहीं होती। सूखे बंजर खेत जैसी जिंदगी बेहाल है... घटाएं घिर तो आती है मगर बरसात नहीं होती।
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