बैठे बैठे खुद ही मुस्कुरा रहे हो साहिब,,
पागल हो या मोहब्बत की शुरूवात है...!!!
कभी ये भी कह दो ,,,
मेरी बिन अधूरे हो .....!!!
तुम्हारा क्या बिगड़ता है,,,?
जरा सा झूट कहने में ......!!!
ना हमें ज़िन्दगी मिलती हे ना मौत मिलती हे ,
ज़िन्दगी के रास्तो पे सिर्फ बेबसी मिलती हे ,
रुला ही देते हे ना जाने क्यों ये दुनियावाले ,
जब भी हमें कोई ख़ुशी मिलती हे ....
दूरियों का गम नहीं,,,,
गर फ़ासले दिल में न हों....
नज़दीकियाॅ बेकार हैं,,,,
गर दिल में जगह न हो....!!!
"लोग कहते हैं कहानी आपकी,,
है व्यथा मेरी, ज़ुबानी आपकी...
"हाले-दिल कहती हूँ पर इक शर्त है,,
आँख में आये न पानी आपकी...
"चंद यादें, चंद आँसू आँख में,,
रह गये हैं बस निशानी आपकी...
"दिल दुखाते हैं मेरा ये लोग सब,,
छेड़ कर बातें पुरानी आपकी...
"तेरा ग़म, तेरी ख़ुशी सब हैं मेरे,,
अपनी लगती ज़िंदगानी आपकी...
कभी तो होगी मेरी क़दर उन्हें तनहाईयों में ...,
दिल्लगी के लिए अभी तो ,बुहत से लोग है उनके इर्द गिर्द..!!
एक बार मेरी निगाह में देखकर कह दे,
कि हम तेरे क़ाबिल नही,
क़सम तेरी चलती साँसों की,
हम तुझे देखना तक छोड़ देंगे !
ना करो हम *"सौदागरों"* से " दिलों " का सौदा,
पहले ही लोग हमे लूट गये "वफ़ा" का "दिलासा" दे कर..
बात इतनी सी थी कि तुम अच्छे लगते थे..
अब बात इतनी बढ़ गई कि ,,,
तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता..!!
तेरे लबो को छु लू वो शाम आ जाये..
तेरे प्यार में बहने का पैगाम आ जाये..
ये जिंदगी तो है तेरी अमानत,
बस मेरे नाम के साथ तेरा नाम आ जाये!
Waqt Ki Dhup Ho Ya Barish,
Kuch Kadmo K Nishan Nehi Mit Te..
Jinhe Yad Karke Khus Hoti Hai Aankhe,
Wo Log Dur Hokar Bhi Dur Nehi Ho Te..
इक रोज़ रोशन, मेरी भी होगी ज़िंदगी,,
इंतजार सुबह का नही,तेरे लौट आने का रहता है...
Kya Dete Kisiko Muskurahat,
Hum Apne Ashkon Se Zaar Zaar The..
Kya Dete Kisiko Zindagi Ka Tohfa,
Hum To Apni Maut Se Bezaar The..
मैं बददुआ तो नहीं दे रही हूँ उसको मगर,
दुआ यही है उसे मुझसा अब कोई न मिले।
वो "दोस्त" मेरी नजरो मे बहोत माईने रखते,
जो वक़त आने पर मेरे सामने, "आइने" रखते है..!
तमन्ना दिल की एक हसरत है,
पूरी हो जाये तो इन्सान खुश किस्मत है,
ना पूरी हो तो गम न करना,
क्योंकि अधूरी रहना तो तमन्नाओं की फितरत है।
कुछ दिनों अपनी यादों से रिहाई दे दो""
मुहब्बत के साथ - साथ दुनियादारी भी तो निभानी है""
मुश्किल है दौर इतना और उम्र थक गई,
अब किससे जाकर पुछे मंजिल किधर गई,
बाजार मे पूछी थी ईन्सानियत मिलेगी?
सबने हँसते हुए कहा वह तो कब की मर गई।
"तेरे ख़त आज लतीफ़ों की तरह लगते हैं,
खूब हंसती हूँ जहाँ लफ़्ज़-ए-वफ़ा आती है...
कोई हालात नही समझता ,
तो कोई जज्बात नही समझता..
कोई कोरा पन्ना पढ़ लेता है ,
तो कोई पूरी किताब नही समझता ....
Aaj Bhi Khadi Ho Jaati Hu Us Gali Me Jaakar,
Jaha Tu To Nahi Teri Yaado Ka Basera Hai Bas...
takti raheti hu teri raha palke bichaye,
tu lautega kabhi.. ye to mahez ek sapna hai bas...
"Kabhi To Pighlega Patthar Mohabbat ki Tapish paakr,
Hum Yahi Soch Kar Pattharon se Dil Lagaye Jate hain !
Bhale Wafa ka Sila naa dena,
Magar mujhe Yun Bhula naa dena..
Zara Sambhal ke rakhna Mere Pyar ko...
Mai Kanch ki tarha hoon Mujhe Gira naa dena......!!
हाथो की लकीरो मै किस्मत होती है.
मिलना और भूल जाना लोगो की फितरत होती है.
बिखरता तो हर कोई है दर्द मे,
मगर गम भुलाना इंसान केलिए जरुरी होती है..
Jab Hawao K Rukh Badalte Hai,
To Chirago Ke Bhi Kone Jalte Hai..
Is Mohabbat Ne Kaha Lakar Khada Kar Dia,
Ab To Barf Chune Se Bhi Hath Jalte Hai...
तुझे भुलना होता तो कब का भुला देते~
तुम "हसरत-ए-जिदंगी" हो~
कोई "मतलब-ए-जिदंगी" नही ~
जबरदस्ती का रिश्ता निभाया नही जाता,
किसको अपना बनाया नही जाता,
जो दिल के करीब होते है वही अपने होते है,
गेरो को सपनो मे बसाया नहीं जाता…