लफ़्ज दर लफ़्ज़ चुकाया है किराया इश्क का ,,,
दिलों के दरमियां यूँ मुफ्त में नहीं रहती !
साल दर साल गर अपनी उम्र न देते इसको,,,
तो ज़माने में मोहब्बत जवां नहीं रहती !!
