Thursday 6 August 2015

निगाहों में......

निगाहों में भटकती हैं , जुबां पर अटकती हैं
ये दिल की भाषा है तुम नहीं समझोगे.. 
क्योंकि ये कभी हंसती हैं तो कभी सिसकती हैं
ये अहसास-ए-तड़प है तुम नहीं समझोगे..


http://hottystan.blogspot.in/

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