Thursday 11 December 2014

जो पढ़ते हो आज मुझमें....

जो पढ़ते हो आज मुझमें, मुझे कल वो बदलना नहीं आता… 

आज अखब़ार हूँ तुम्हारी खातिर,, 

कल शायद सिर्फ़ एक कागज़ का टुकड़ा रह जाउंगी ...

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